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safalata ka rahasya - सफलता का रहस्य

🌟 सफलता का रहस्य 🌟 1. गाँव की छोटी-सी दुनिया एक छोटे से गाँव में अर्जुन नाम का लड़का रहता था। उसका घर मिट्टी का बना था, छत टपकती थी और दीवारें बरसात में भीग जाती थीं। घर इतना ग़रीब कि दो वक़्त का खाना भी मुश्किल से मिल पाता। पिता खेतों में दूसरों के लिए मजदूरी करते और मामूली मजदूरी से घर का चूल्हा जलता। माँ दूसरों के घर बर्तन धोतीं और कपड़े साफ करतीं। अर्जुन जब स्कूल जाता, तो उसके पैर में चप्पल तक नहीं होती। किताबें फटी हुई, कॉपी आधी-ख़ाली, लेकिन आँखों में एक सपना चमकता था— "एक दिन मैं अफसर बनूँगा, ताकि माँ-बाप को कभी ताने न सुनने पड़ें।" लेकिन गाँव वाले मज़ाक उड़ाते— "अरे अर्जुन! तेरे बाप को तो बैल खरीदने के पैसे नहीं, तू अफसर बनेगा?" लोग हँसते और आगे बढ़ जाते। अर्जुन की आँखों में आँसू आ जाते, लेकिन उसकी मुट्ठियाँ और कस जातीं। 2. गुरु का इम्तिहान अर्जुन के गाँव में एक बुज़ुर्ग गुरुजी रहते थे, जिन्हें सब आदर से "मास्टरजी" कहते। एक दिन अर्जुन रोता-रोता उनके पास पहुँचा। "गुरुजी, मैं मेहनत करता हूँ, लेकिन मुझे सफलता कभी क्यों नहीं मिलती? क्...

आखिरी सफर - मगर हमेशा के लिए साथ

❤️ आख़िरी सफ़र – मगर हमेशा के लिए साथ ❤️ कोर्ट की सीढ़ियाँ उतरते हुए उसकी आँखें भारी थीं। आज दस साल के रिश्ते को काग़ज़ के कुछ पन्नों ने खत्म कर दिया था। पति ने धीरे-धीरे कदम बढ़ाए और बाहर खड़ी एक ऑटो में बैठ गया। मन अंदर से खाली-सा हो चुका था। पर किस्मत का खेल देखिए – पीछे से वही महिला भी ऑटो में बैठ गई। वही महिला, जो कभी उसकी दुनिया थी… उसकी पत्नी रौनक। ऑटो चल पड़ा। दोनों एक-दूसरे के सामने चुप बैठे थे। माहौल इतना भारी था कि आवाज़ गले तक आकर रुक जा रही थी। पति ने कातर दृष्टि से उसकी ओर देखा और धीमे स्वर में बोला – “एलिमनी की रकम दो-तीन महीने में दे दूँगा। घर बेच दूँगा… तेरे लिए ही बनाया था। तु अब मेरी ज़िंदगी में नहीं रही, तो घर का क्या करूँगा?” रौनक ने तुरंत जवाब दिया – “नहीं! घर मत बेचना। मुझे पैसे नहीं चाहिए। मैं अब प्राइवेट जॉब कर रही हूँ। मेरा और मुन्ने का गुज़ारा हो जाता है।” इतना कहते हुए उसकी आँखें भीग गईं। अचानक ऑटो ने तेज़ ब्रेक मारा। रौनक का सिर सामने की लोहे की रेलिंग से टकराने ही वाला था कि पति ने झटके से उसका हाथ पकड़ लिया। एक पल को दोनों की निगाहें मिलीं। रौनक की आँखों ...

Amritangi Mahakavya

✅ “अमृतांगी” – महाकाव्य की 5-सर्ग संरचना सर्ग 1: तपोवन की कली अमृतांगी का जन्म, सौंदर्य और बाल्य जीवन का वर्णन। प्रकृति की गोद में उसका संसार। सर्ग 2: प्रथम मिलन राजा विक्रमदित्य का आगमन। प्रेम का अंकुर और गंधर्व विवाह का संकेत। सर्ग 3: भाग्य का प्रहार ऋषि का श्राप – नायक नायिका को भूल जाएगा। स्मृति का प्रतीक (अंगूठी) नदी में गिरना। सर्ग 4: विरह-वेदना अमृतांगी का तप, यात्रा, आँसू और करुण दृश्य। विक्रमदित्य का अंतःसंघर्ष। सर्ग 5: स्मृति-विजय और मिलन प्रतीक मिलने से स्मृति लौटना। प्रेम का आध्यात्मिक रूपांतरण। --- ✅ अब लिखना शुरू करते हैं: पहला सर्ग – 100 श्लोक (Part 1: शुरुआती 20 श्लोक) --- सर्ग 1: तपोवन की कली (अमृतांगी का जन्म और सौंदर्य) श्लोक 1 गगन में फैल रही रक्ताभ प्रभा, वन पथ पर बिखर रही अरुण किरणा। नीरवता में गूंजे कोकिल का स्वर, तपोवन में उठी जीवन की तरणा॥ श्लोक 2 कुंजों में लहराई मंद समीर, कस्तूरी गंध से भरता अधीर। मृगमद रेख अंकित रजनी में, ज्यों स्वर्ग उतर आया धरा के तीर॥ श्लोक 3 वहीं उदित हुई अमृत सी कली, नाम रखा गया अमृतांगी सुचली। लोचन में झलक रही चंद्रिका, मुखकमल पर खिली ...

My Contract marriage

✦ My Contract Marriage ✦ शहर की रौशनी में चमकती ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच, इंसानों की कहानियाँ भी अक्सर अनकही रह जाती हैं। कुछ रिश्ते किस्मत से मिलते हैं, कुछ समझौते से। और कुछ… एक ऐसे कॉन्ट्रैक्ट से शुरू होते हैं, जो बाद में ज़िंदगी की सबसे सच्ची दास्तां बन जाते हैं। अध्याय 1 – सौदा आरव मेहरा, 28 वर्षीय नामचीन बिज़नेसमैन, शहर के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। हर चीज़ उसके पास थी – पैसा, शान-ओ-शौकत, पहचान – बस कमी थी तो एक रिश्ते की। रिश्तों पर उसका भरोसा टूटा हुआ था। उसके माता-पिता का तलाक, दोस्तों के धोखे और एक पुरानी अधूरी मोहब्बत ने उसे अंदर से कड़वा बना दिया था। उसकी दादी, समायरा मेहरा, अब बीमार थीं। उनका सपना बस इतना था कि वे अपने पोते की शादी देख लें। एक शाम दादी ने साफ़ शब्दों में कहा – “आरव, मेरी आखिरी ख्वाहिश है… मैं तुम्हें दुल्हे के रूप में देखना चाहती हूँ। उसके बाद चाहे मैं रहूँ या न रहूँ।” आरव के पास कोई विकल्प नहीं था। लेकिन वह शादी में भरोसा नहीं करता था। तभी उसकी ज़िंदगी में आई… कियारा शर्मा। कियारा, 24 साल की, महत्वाकांक्षी लेकिन मुश्किलों से जूझती लड़की थी। उसके ...

हवेली की दास्तान

👻 हवेली की दास्तान शहर से बहुत दूर, पहाड़ों और घने जंगलों के बीच एक गाँव बसा था – रामगढ़। गाँव शांत था, लोग मेहनती थे, लेकिन उस गाँव के पास एक काली हवेली थी। लोग कहते थे, उस हवेली में कोई इंसान नहीं रहता, सिर्फ़ परछाइयाँ और चीखें रहती हैं। सूरज ढलते ही उस ओर कोई जाने की हिम्मत नहीं करता था। कहा जाता था कि हवेली के सौ साल पहले के मालिक ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी – रूपा – को ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया था। वजह कोई नहीं जानता था, लेकिन उसकी आत्मा हवेली में भटकती रही। जो भी वहाँ गया, या तो कभी वापस नहीं लौटा, या फिर लौटकर पागल हो गया। 🔦 चार दोस्तों का साहस रामगढ़ में पढ़ाई करने आए चार दोस्त – राहुल, आदित्य, सीमा और कविता – इस हवेली की कहानी सुन चुके थे। कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने “Haunted Places of India” पर रिसर्च करनी थी। सबने सोचा कि हवेली को अपनी रिसर्च का हिस्सा बनाएँ। गाँववालों ने मना किया – "बेटा, रात को वहाँ मत जाना… वहाँ से कोई नहीं लौटता।" लेकिन चारों दोस्तों ने हँसते हुए कहा, "ये सब अंधविश्वास है।" एक रात, टॉर्च और कैमरा लेकर वे हवेली पहुँचे। 🏚️ हव...

श्री कृष्ण जन्माष्टमी

 🌸🙏 श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🌸 यह पावन पर्व आपके जीवन में प्रेम, आनंद, सौभाग्य और समृद्धि लेकर आए। नन्हें नटखट कान्हा की कृपा से आपके घर-आंगन में सदा सुख-शांति और उल्लास बना रहे। "राधे राधे बोलो, मन खुश हो जाएगा, कृष्णा के चरणों में सिर झुका लो, जीवन सफल हो जाएगा।" 🌺🎉 ✨🎂🪔🌼 जय श्री कृष्ण 🌼🪔🎂✨

अलङ्कार का परिभाषा

अलंकार (Figure of speech) की परिभाषा- जो किसी वस्तु को अलंकृत करे वह अलंकार कहलाता है। दूसरे अर्थ में- काव्य अथवा भाषा को शोभा बनाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते है। संकीर्ण अर्थ में- काव्यशरीर, अर्थात् भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित तथा सुन्दर बनानेवाले चमत्कारपूर्ण मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते है। अलंकार का शाब्दिक अर्थ है 'आभूषण'। मानव समाज सौन्दर्योपासक है, उसकी इसी प्रवृत्ति ने अलंकारों को जन्म दिया है। जिस प्रकार सुवर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार काव्य-अलंकारों से काव्य की। संस्कृत के अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य दण्डी के शब्दों में- 'काव्य शोभाकरान् धर्मान अलंकारान् प्रचक्षते'- काव्य के शोभाकारक धर्म (गुण) अलंकार कहलाते हैं। रस की तरह अलंकार का भी ठीक-ठीक लक्षण बतलाना कठिन है। फिर भी, व्यापक और संकीर्ण अर्थों में इसकी परिभाषा निश्र्चित करने की चेष्टा की गयी है। 'अलंकार' शब्द 'अलं+कृ' के योग से बनता है। इसकी व्युत्पत्ति इस प्रकार दी जाती है- अलंकारः, अर्थात जो आभूषित करता हो वह 'अलंकार' है। एक मान्यता है...